Shri Sadguru Satam Maharaj
होम
  1. मानवता के लिये संवेदना जतानेवाला चमत्कार

    श्री साटम महाराज के दाणोली आगमन के पहले वहॉं पानी की घनघोर समस्या थी. सिर्फ एक कुँवा था. जिसका नाम नागझरी था, वह भी सूख चुका था. दाणोली पहुंचने के बाद श्री महाराज को महसूस हुआ कि पानी के लिये लोग तडप रहे है. लोगों का कष्ट उनसे देखा न गया. नागझरी जाकर श्री महाराज वहॉं खडे हो गये. उनके ऐसा करते ही नागझरी में पानी की धारा शुरू हो गई और आज तक ना रुकी. इस तरह श्री महाराज की दया भावना से दाणोली के लोगों को सूखे से बचाया.

  2. भक्तों को निराश न करनेवाला चमत्कार

    एक दिन बालू ने 15 लोगों के लिये भोजन बनाया जो श्री महाराज के दर्शन करने आये हुए थे. धीरे धीरे भक्तों का तांता बढता गया. भक्तों की संख्या 100 से उरप पहुँच चुकी थी. श्री महाराज ने बालू से भक्तों को भोजन खिलाने के लिये कहा. बालू चिंतीत हो गया क्योंकी भोजन तो सिर्फ 15 लोगों के लिये बनाया था. लेकिन श्री महाराज को अपनी उलझन समझाना उसने ठीक नही समझा. भोजन कम न पडे यह प्रार्थना करते हुए उसने बर्तन को श्री महाराज के चोले से ढक दिया. जब लोगों को भोजन देने के लिये बर्तन उठाया तो काफी भारी लगा. लोगों को उसने डरते डरते खाना परोसना शुरु किया. उस दिन सभी भक्तों ने भरपूर भोजन खाया. फिर भी ढेर सारा भोजन बच गया.

  3. श्री महाराज की आध्यात्मिक शक्ति दर्शानेवाला चमत्कार

    अपने अंतिम दिनों मे श्री महाराज ने खाना पीना बिल्कुल छोड दिया था. भक्तजन चिंतित थे, आखिर एक डॉक्टर को बुलाया गया. डॉक्टर ने जब जॉंच की तो पता चला उनकी नाडी तो चल ही नही रही इसका मतलब उन्हें तो मृत होना चाहिये था. लेकिन श्री महाराज को जीवित देखकर डॉक्टर चकित रह गया. उसने कहा कि वो अहोभाग्य है कि उसे इस महात्मा के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. श्री महाराज की हालत मे सुधार न होने के कारण कुछ दिनों बाद एक अन्य डॉक्टर को बुलाया गया. जॉंच करने के बाद डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. लेकिन श्री महाराज ने फिर आँखे खोली, एक नही दो बार. इसके बाद भी श्री महाराज ने स्वयं की इच्छा से अपनी आँखे हमेशा के लिये बंद कर ली.

  4. बच्चों के प्रति प्रेम दर्शानेवाला चमत्कार

    श्री महादेव शास्त्री जोशी श्री महाराज के अटूट भक्त थे. उनका छोटी आयु का बेटा जन्म से गूँगा और बहरा था. जब महादेव पहुँचे तो श्री महाराज भक्तों के साथ भजन कर रहे थे. चरण स्पर्श करके बच्चे को उनको चरणों मे बिठाकर उन्हें भरी आँखो से बच्चे की समस्या से अवगत कराया. यह सुनकर श्री महाराज ने तुरंत जोर से भजन गाना और नाचना शुरु किया. उनके साथ बच्चे ने भी भजन गाना तथा नाचना शुरु कर दिया. सब भक्त यह देखकर दंग रह गये कि गूँगा और बहरा बच्चा अब बिल्कुल ठीक हो गया था. श्री जोशी खुशी से भाव विभोर हो उठे. आँखो से आँसू बहाते हुए उनके चरणों मे नतमस्तक होकर उन्होंने अपनी कृतज्ञता दर्शाई.

  5. बिमारी दूर करने का अपरंपरागत तरीका जतानेवाला चमत्कार

    श्री गजानन वाइंगणकर श्री महाराज के सच्चे भक्त थे. श्री महाराज उनके घर भी जाया करते थे. गजानन की पत्नी गर्भवती थी. ऐसी हालत मे उन्हें एक रोग हो गया जो बहुत इलाज के बाद भी ठीक न हुआ. हितैषियों के आग्रह करने पर भी गजानन ने यह बात श्री महाराज को बताना ठीक न समझा. उनका कहना था कि वे सब जानते है इसलिये यह समस्या उन्हे बताने की आवश्यकता नही. लेकिन हितैषी अपने आप को रोक न सके. यह बात उन्होने श्री महाराज के कान में डाल दी. उन्होंने कहा कि गजानन की पत्नी को वे ठीक कर चुके है. कल वे स्वयं गजानन के घर जायेंगे. अगलेही दिन गजानन के घर पहुँचकर उन्होंने चुकन्दर के रस से भरा एक ग्लास मंगाया और गजानन की पत्नी के मुँह मे यह कहते हुए उंडेल दिया कि इन्हें रोगमुक्त करने का यही एक तरीका है. गजानन की पत्नी उसे पीतेही बिल्कुल ठीक हो गई.

    श्री सद्गुरु साटम महाराज 28 मार्च 1937 को अपने भक्तों को यह संदेश देने के बाद अपने शरीर को छोडकर परमात्मा मे लीन हो गये. फल वही मांगेगा जो ईश्र्वर का भक्त है. उन्होंने यह कभी नही कहा कि वे मानवता का उद्धार कर रहे है. उन्होंने हमेशा यह कहा कि ईश्र्वर उनका उद्धार करेगा जो सच्ची प्रेमभावना से उसकी सेवा करते है.

    उन्होंने यह भी समझाया कि, मै सदा के लिये तुम्हें छोडकर नहीं जा रहा हूँ. प्यार से मुझे बुलाओ मैं आ जाऊंगा. बस इस नाम स्मरण से मुझे याद करो - श्री साटम महाराज दत्तगुरू क्योंकी मै हमेशा नाम मे हूँ शरीर मे नहीं.


पीछला

ऊपर